बास का संक्षिप्त परिचय : बास अर्थात् BAAS "भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान" (Bhrashtachar, & Atyachar Anveshan Sansthan) का संक्षिप्त रोमन नाम/रूप है। जिसका विस्तारित मतलब है B=Bhrashtachar, & A=Atyachar, A=Anveshan, S=Sansthan इस संस्थान की स्थापना शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयन्ति के दिन 27/28 सितम्बर, 1993 की रात्रि को की गयी थी। जिसे भारत सरकार की विधि के अधीन सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत 06 अप्रेल, 1994 को पंजीकरण संख्या : एस/25806/94 पर रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज, दिल्ली द्वारा सम्पूर्ण भारत में हर प्रकार की नाइंसाफी के विरुद्ध कार्य करने के लिये रजिस्टर्ड किया गया है।
हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!
लेकिन, मित्रो जैसा कि हम सभी जानते हैं कि :-
1. केन्द्रीय और प्रान्तीय सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी जो संविधान और कानून की नजर में वास्तव में जनता के नौकर (लोक सेवक-Public Servent) हैं, लेकिन अधिकतर सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी जनता के मालिक बन बैठे हैं।
2. हम सब यह भी जानते हैं कि लाकतंत्र और संविधान को धता बताकर समाज में भेदभावपूर्ण और शोषक कुव्यवस्था संचालित है। अनेक-कॉर्पोरेट घराने, व्यवसायी, मीडिया, शिक्षण संस्थान और एनजीओ भी अनैतिक एवं विधि-विरुद्ध कार्यों में संलिप्त हैं।
3. इस सब के दुष्परिणामस्वरूप वर्तमान में हर एक क्षेत्र में-नाइंसाफी, भ्रष्टाचार, शोषण, अत्याचार, उत्पीड़न, भेदभाव और मनमानी का बोलबाला है। इन सब को चुपचाप सहने की हमारी आदत इन सभी अपराधों को बढावा दे रही है।
4. बहुत हो चुका, अब गुमसुम अन्याय मत सहो। अपनी बात खुलकर कहो! क्योंकि—
आखिर आप कब तक सिसकते रहोगे?
बोलोगे नहीं तो कोई सुनेगा कैसे?
लिखोगे नहीं तो कोई पढेगा कैसे?
दिखोगे नहीं तो कोई देखेगा कैसे?
मिलोगे नहीं तो पहचानोगे कैसे?
खोजोगे नहीं तो पाओगे कैसे?
सुनोगे नहीं तो समझोगे कैसे?
चलोगे नहीं तो पहुंचोगे कैसे?
लड़ोगे नहीं तो जीतोगे कैसे?
पूछोगे नहीं तो जानोगे कैसे?
बोलोगे नहीं तो कोई सुनेगा कैसे?
लिखोगे नहीं तो कोई पढेगा कैसे?
दिखोगे नहीं तो कोई देखेगा कैसे?
मिलोगे नहीं तो पहचानोगे कैसे?
खोजोगे नहीं तो पाओगे कैसे?
सुनोगे नहीं तो समझोगे कैसे?
चलोगे नहीं तो पहुंचोगे कैसे?
लड़ोगे नहीं तो जीतोगे कैसे?
पूछोगे नहीं तो जानोगे कैसे?
इस प्रकार इस संस्थान का मकसद-हर सदस्य को-जागरूक, निर्भीक और ज्ञानवान बनाना भी है।जिससे सदस्यगण हर प्रकार की नाइंसाफी और भेदभाव के खिलाफ अपनी एकजुट ताकत के बल पर पुरजोर आवाज उठाने में सक्षम और समर्थ हो सकें। जिसके लिये संस्थान के सदस्यों द्वारा समय-समय पर अपने-अपने क्षेत्र में बास की मीटिंग, कार्यशाला तथा प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किये जाते हैं।
No comments:
Post a Comment